October 1, 2019

हां! मै भी हूं 'हत्यारा'

 

हां! ये सच हैं, मै कबूल करता हूं कि मैने हत्याएं की हैं, लेकिन ये हत्याएं मैने अकेले नही की हैं, इसमें आप भी शामिल हैं, हम सब शामिल हैं। जिन्होने मिलकर न जाने कितने बेजुबानों, गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे नन्ही जानों, और अन्य हत्याओं के दोषी हैं। क्या आपको अंदाजा है कि जब आप शौक से पटाखें जलाते हैं और खुशी से चिल्लाते हैं तो वहीं लाखों बेजुबान पशु-पक्षी मातम मनाते हैं। नन्हें पक्षी, इस शोर की दहशत और पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस बर्दाश्त नही कर पाते और दम तोड़ देते हैं। वहीं गर्भ में पल रही कई नन्ही जानें भी इस दुनिया को देखने से पहले ही इसे अलविदा कह देती हैं। आपकी ये दिखावे भरी खुशी  लाखो दमें के मरीजों, दिल के मरीजों के साथ-साथ बुजुर्गो का दर्द भी बढ़ा देती है। इनमें से न जाने कितनों की मौत हो जाती है, लेकिन ये महज मौतें नही बल्कि मर्डर हैं, जिसके जिम्मेदार आप और हम जैसे लाखों-करोड़ो लोग हैं। मुझसे भी ये गलती बचपन में हुई थी, जैसे ही मैने पटाखा जला अपने कान बंद किये, मैने देखा दूर बैठे एक छोटा सा कुत्ता डर से कांप रहा था, मै उसे संभालने उसके पास गया, लेकिन वो और भी डर गया। जिसे देख मैने तय किया कि अब जीवन में दुबारा कभी इन पटाखों को हाथ नही लगाऊंगा। वैसे भी जब आपकी खुशी, दूसरे के दुख का कारण बन जाती है तो फिर वो ख़ुशी नही रह जाती । इसलिए दिवाली, देवउठनी ग्यारस धूमधाम से मनाएं, लेकिन पटाखें मत जलाएं।