Vakya Kya hai aur uske Prakar
According to Wikipedia
वाक्य, दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को कहते हैं। उदाहरण के लिए 'सत्य से विजय होती है।' एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किंतु 'सत्य विजय होती।' वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है तथा वाक्य होने के लिए इसका अर्थ निकलना चाहिए। जैसे:- "विद्या धन के समान हैं ।" ,"
वाक्य के प्रकार – Vakya ke Prakar
vakya ke bhed वाक्यों को दो आधार पर वर्गीकृत किया गया है-
1. अर्थ के आधार पर
2. रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर
1. विधानवाचक – जो वाक्य कर्ता द्वारा किसी कार्य का होना बताते हैं वह विधानवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे – गीता खाना बना रही है, सुमित कल दिल्ली जा रहा है आदि।
2. निषेध वाचक – जिन वाक्यों में कर्ता द्वारा किसी काम का ना होना बताया जाए, वह निषेध वाचक वाक्य कहलाते हैं।
3.इच्छावाचक वाक्य - जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण- भगवान तुम्हे दीर्घायु करे। नववर्ष मंगलमय हो।
3. आज्ञा वाचक – जिन वाक्यों में आदेश, प्रार्थना, उपदेश आदि का भाव उत्पन्न होता है वह आज्ञा वाचक वाक्य कहलाते हैं। इनमें कर्ता छुपा हुआ होता है। जैसे :- पानी पिला दो, बुजुर्गों का सम्मान करो, बाज़ार से सामान ले आओ, यहां बैठो आदि।
4. प्रश्नवाचक – जिन वाक्यों में किसी प्रकार के प्रश्नों का बोध होता है, या प्रश्न पूछे जाते हैं। वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे :- तुम स्कूल कब जाओगे?, राम मंदिर क्यों नहीं जा रहा है आदि।
5.संदेहवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण- क्या वह यहाँ आ गया ? क्या उसने काम कर लिया ?
6. विस्मयादिबोधक – जिन वाक्यों में हृदय से निकले भाव को प्रधानता दी जाती है वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में शोक, दुःख, सुख, हर्ष, प्रसन्नता, आश्चर्य आदि का जिक्र होता है। जैसे :- वाह ! हम मैच जीत गए, हे राम ! उसके माता पिता दोनों ही चल बसे आदि।