आज के अधिकांश युवा नौकरी की अपेक्षा बिजनेस करने की इच्छा क्यों रखते हैं?
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की आबादी एक सौ पच्चीस करोड़ से अधिक है। अब तक आबादी एक सौ तीस करोड़ से भी अधिक हो चुकी होगी। ऐसे में यह कहना कि सभी को नौकरी मिल जाएगी, यह सैद्धांतिक रुप से ठीक नहीं है।
ठीक इसी प्रकार यह कहना कि देश के सभी नागरिकों को नौकरी मिलना चाहिए, यह भी नैतिक रुप से ठीक नहीं है। इनमे यह कहना कि सभी नागरिकों के लिए उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार की व्यवस्था होना चाहिए, यह सभी प्रकार से ठीक है। होना भी यही चाहिए कि देश के सभी लोगों को उनकी योग्यतानुसार काम मिलना चाहिए।
आज से 15 – 20 साल पहले तक भारत में नौकरी चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक हुआ करती थी। इनमे सबसे अधिक युवा वर्ग होता था, युवाओं की चाहत हुआ करती थी कि उन्हें किसी प्रकार से एक नौकरी मिल जाए जिससे उनका जीवन आसान हो जाए।
लेकिन वर्तमान में हालात बदल गया है। अब युवा नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहते हैं। वर्तमान में युवा नौकरी करने के बजाय बिजनेस करने के लिए उत्साहित होते हैं। इस बदलाव के पीछे केन्द्र सरकार की नीतियों में हुआ बदलाव का बहुत अहम योगदान है।
नरेंद्र मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी पीएम बनने से पहले गुजरात राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे। गुजरात को विकसित राज्य बनाने में नरेंद्र मोदी जी का अहम योगदान रहा है। नरेंद्र मोदी ने गुजरात में बिजनेस से जुडी सभी जटिलताओं को बिल्कुल आसान बना दिया।
बिजनेस के लिए मिलने वाले सरकारी स्वीकृति को सिंगल विंडों सिस्टम से जोड़ दिया। इस प्रक्रिया से वहां के युवाओं को बिजनेस करने का शानदार मौका मिला और आज गुजरात विकसित राज्य है। कुछ ऐसा ही बदलाव देश में 2014 के बाद से होना शुरु हुआ।
नरेंद्र मोदी पीएम बनने के बाद सबसे पहले कारोबारियों की प्रमुख समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करना शुरु किये। करोबारियों के लिए सभी सरकारी स्वीकृति को सिंगल विंडो सिस्टम तक ले आये। जिन कारोबारियों का बिजनेस धन के आभाव में बंदी के कगार पर खड़ा था, उन कारोबारियों की आर्थिक सहायता के लिए पीएम मुद्रा लोन योजना शुरु की गई।
इन सब प्रयासों के साथ युवाओं के सपनों को पंख लगना तब शुरु हुआ जब पीएम मोदी ने स्टार्ट – अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजना लाँच किया। स्टार्ट अप इंडिया योजना के तहत कोई भी स्टार्ट अप शुरु करने के 3 साल के तक टैक्स फ्री किया गया।
स्टैंड अप इंडिया के तहत 1 करोड़ तक का बिजनेस लोन सिर्फ 59 सेकेण्ड में देने का प्रावधान किया गया। इत्यादि जैसे प्रावधान केन्द्र सरकार किया गया। इन सभी कार्यों का असर युवाओं पर इस कदर हुआ कि युवा अब नौकरी मांगने वाला बनने की जगह नौकरी देने वाला बनने का सपने देखने लगे।
भारत जैसे देश में युवाओं का नौकरी की बजाय बिजनेस से जुड़ना एक बेहतरीन सकारात्मक कदम कहा जा सकता है। क्योंकि देश में जितना अधिक स्वरोजगार होगा, उतना ही अधिक लोगों को काम मिलेगा, इससे देश से बेरोजगारी जैसी समस्या का अंत होगा।
कुल मिलकर हम यह कह सकते हैं कि भारत अब बदलाव की दलहीज पर खड़ा है। पहले भारत को जादूगरों का देश कहा जाता था। अब भारत टेक्नोलॉजी के माध्यम से दुनिया में अपनी धाक जमा रहा है। पहले भारत के युवा नौकरी के लिए लालियत रहा करते थे, अब भारत के युवा नौकरी देने वाला बनने का सपना देख रहे हैं।